रंजीत संपादक
रुद्रपुर:- आपदा प्रबंधन पूर्व तैयारियों की बैठक लेते हुए जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि वर्षाकाल में जनपद के कई क्षेत्रों में जलाशयो व नदियों के रास्ता बदलने से जलभराव, बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है इसलिए जलाशयों व नदियों की ड्रेजिंग (डी-सिल्टिंग) आवश्यक है। उन्होने हरिपुरा, बैगुल, तुमड़िया, धौरा व शारदा जलाशयों का डी-सिल्टिंग किया जाना है इस हेतु उन्होने सम्बन्धित उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में अधिशासी अभियंता सिंचाई, उप निदेशक खनन, उप प्रभागीय वनाधिकारी व तहसीलदार की समिति गठित करते हुए जलाशयों में सिल्ट का सर्वे मूल्यांकन करते हुए 10 दिन में रिपोर्ट जिला कार्यालय को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
अधीक्षण अभियंता सिंचाई पीके दीक्षित ने बताया कि हरिपुरा जलाशय व बौर जलाशय की जल संचय क्षमता सिल्ट के कारण आधी रह गयी है। हरिपुरा व बौर जलाशय एक साथ जुड़े हुए है। हरिपुरा जलाशय में पानी पहाड़ो की ओर से आता है इसलिए सिल्ट हरिपुरा जलाशय में जमा हो जाती है। क्योकि बौर जलाशय, हरिपुरा जलाशय के डाउन स्टीम मेे है इसलिए उसमे सिल्ट कम आता है। उन्होने कहा कि हरिपुरा जलाशय की डी-सिल्टिंग कराना अतिआवश्यक है। इसी तरह तुमड़िया जलाशय की भी डी सिल्टिंग आवश्यक है। जिस पर जिलाधिकारी ने आपदा न्यूनीकरण पूर्व कार्य हेतु जलाशयों की डी-सिल्टिंग कार्य अतिआवश्यक है, इसलिए सर्वे कर 10 दिन के अन्दर आख्या प्रस्तुत करें।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार, डीएफओ यूसी तिवारी, अपर जिलाधिकारी अशोक कुमार जोशी, ओसी खनन मनीष बिष्ट, उप जिलाधिकारी रविन्द्र जुआठा, उप निदेशक खनन अमित गौरव, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी उमाशंकर नेगी मौजूद थे व सभी उप जिलाधिकारी वर्चुअल के माध्यम से जूड़े थे।